
हम पिछली सदी की विरासत
कांधों पर लादे हुए लोग ।
बार-बार पीछे मुड़ देखते,
गुजरे वक्त की तलछट में
सैलाब टटोलते हैं ।
नियॉन लाइट की चौंध में
उजाले तराशते
खोखली हंसी के प्याले में
सुख की बूँदें निचोड़ते हैं।
छिपकर हजार मुखौटों में
अपनी ही शिनाख्त का
सामान सहेजते हैं
हम पिछली सदी की विरासत
कांधों पर लादे हुए लोग।
लटके हैं असुरक्षा की सलीब में,
शापित हैं अश्वत्थामा की तरह
रिसते घावों का दंश लिए
निरंतर भटकने को।
कांधों पर लादे हुए लोग ।
बार-बार पीछे मुड़ देखते,
गुजरे वक्त की तलछट में
सैलाब टटोलते हैं ।
नियॉन लाइट की चौंध में
उजाले तराशते
खोखली हंसी के प्याले में
सुख की बूँदें निचोड़ते हैं।
छिपकर हजार मुखौटों में
अपनी ही शिनाख्त का
सामान सहेजते हैं
हम पिछली सदी की विरासत
कांधों पर लादे हुए लोग।
लटके हैं असुरक्षा की सलीब में,
शापित हैं अश्वत्थामा की तरह
रिसते घावों का दंश लिए
निरंतर भटकने को।